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PM Modi के दौरे से पहले ही America भारत के साथ इस रक्षा समझौते को पूरा करने की तैयारी कर रहा

बाइडेन प्रशासन भारत के साथ एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदे को पूरा करने की तैयारी कर रहा है, जो इस साल के मध्य में PM Modi  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से पहले हो सकता है। इसे केवल America में भारतीय मूल के डेमोक्रेट एमपी ने खुलासा किया है। खन्ना ने कहा कि लड़ाकू विमान के इंजन के लिए सौदा अमेरिकी पक्ष द्वारा पूरा किया गया है और एक अंतिम निर्णय पीएम मोदी के दौरे से पहले लिया जा सकता है।

भारत जानता है कि सोवियत काल के सैन्य उपकरण अब सही तरह से काम नहीं करते और रूस भी धीरे-धीरे चीन की तरफ झुक रहा है। इसी बीच, भारत अमेरिका के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए खुलकर तैयार है।

भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के बारे में सोचना भी महत्वपूर्ण 

जेट इंजन रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। खन्ना ने भारत की ऊर्जा और ईंधन की आवश्यकताओं को पूरा करने का भी जोर दिया और कहा कि विकास के लिए हमें विवरण देते हुए बताया जा रहा है कि यदि संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी का प्रस्ताव स्वीकार करती है, तो यह भारत की रूसी हथियारों पर निर्भरता को कम करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा। रूस के उक्रेन पर हमले के बाद से, America डिप्लोमेटिक रूप से रूस को अलग करने की कोशिश में लगी हुई है। वर्तमान में, भारतीय लड़ाकू विमान रूस, यूरोप और भारत के तकनीक के मिश्रण से बनाए जाते हैं।

इस सहयोग का आगे भी विकास हो सकता है। लड़ाकू विमान इंजनों के संयुक्त उत्पादन के अलावा, अमेरिका भारत से हथियार सिस्टम, आर्मर्ड इंफेंट्री वाहन, सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सहयोग कर सकता है, जबकि समुद्री सुरक्षा भी इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण विषय हो सकता है।

भारत के लिए यह डील क्यों महत्वपूर्ण है?

ध्यान देने योग्य बात यह है कि वर्तमान में भारत के पास अधिकतम फाइटर जेट रूसी मूल के हैं। भारत अपने फाइटर जेट के लिए अब तक सिर्फ रूस से उपकरण खरीदा है। हालांकि, मोदी सरकार लगातार अपनी रक्षा खरीदारी को विविधतापूर्ण बनाने की कोशिश कर रही है। इस संबंध में, भारत अपने फाइटर जेट के लिए अमेरिकी जेट इंजन खरीदने की बातचीत हो रही है। माना जा रहा है कि यह चीन के बढ़ते चैलेंज से निपटने और भारत की रूसी हथियारों पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने डील के बारे में बात की थी इस साल की शुरुआत में, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोवाल ने अमेरिकी यात्रा की थी। यहां दोनों देशों के बीच जेट इंजन डील के संबंध में बातचीत हुई थी। 

भारत के जेट इंजन के लिए सौदे की एहमियत क्या है?

महत्वपूर्ण रूप से, वर्तमान में भारत के पास रूसी मूल के अधिकतम लड़ाकू जहाज हैं। भारत अब तक अपने लड़ाकू जहाजों के लिए केवल रूस से उपकरण खरीदता रहा है। हालांकि, मोदी सरकार ने निरंतर अपनी रक्षा खरीदारी को विविधता देने की कोशिश की है। इस संबंध में, भारत अपने लड़ाकू जहाजों के लिए अमेरिकी जेट इंजन खरीदने की बातचीत कर रहा है। माना जाता है कि इससे चीन के बढ़ते चुनौतियों का सामना करने और भारत की रूसी हथियारों पर निर्भरता को कम करने के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

इस सहयोग से भविष्य में अधिक समन्वय और सहयोग संभव हो सकता है। यूएस भारत के साथ एकीकृत विमान इंजन के संयुक्त उत्पादन के अलावा तोप के प्रणालियों, कवचधारी पैदल सैनिक वाहन, सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में भी भारत के साथ सहयोग कर सकता है। भारत के लिए समुद्री सुरक्षा भी इस सहयोग के द्वारा संभव हो सकती है।

इस सहयोग से अमेरिका और भारत दोनों को बढ़िया फायदे होंगे। भारत को रूस के हथियारों पर अपनी निर्भरता को कम करने का मौका मिलेगा जबकि अमेरिका के उत्पादकों को नए विपणन क्षेत्रों में प्रवेश करने का मौका मिलेगा। इससे दोनों देशों के बीच सहयोग और संबंध मजबूत होंगे।

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